Page 35 - E- Connect 2021
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                                                                          गुमनाम...
                                                                             गुमनाम....
                                                                            नामरहित...
                                                                            अज्ातक ृ त...                            CORNer
                     Adwait Likhite                                   काम करते िै ये पिाड़ों जैसे...
                                                                     इतना हिशाल इनका काम िै...

                                                           काम करते करते लोगो को हिखा, इनमे िी तो राम िै...
                                                                       गुमनाम इनका नाम िै....
                                                                       गुमनाम इनका नाम िै....
                                                                  गुमनामी की जंजीरे कब ये लोगो तोडंगे...
                                                               कब ये लोग नमन करना जाहलयो को छोडेंगे...
                                                             जाहलयों को नमन करक े  कभी न हमलेगी तहलया..
                                                            अगर कभी गए चुक तो खाओगे इनकी िी गाहलया...
                                                                  अज्ातक ृ त िै ये लोग अज्ात िी रिते िै..
                                                         कभी हिख जाये ऐसे लोग तो उन “क े  हसिन”भी किते िै...
                                                                  कशमीर मे मेरा मेरा भाई औरंगज़ेब...
                                                                         करते िेश सेिा िै...
                                                     क ु छ िी हिनों बाि खाया आतंहकयोने बालकोट मैं बारुि का मेिा िै...
                                                                          छोड़ गए िमे परररिकर,
                                                                     िे कर िमें गोिा की िसीित...

                                                               भर्ारिचार न करने की छोड़ गए िमें नसीित...

                                                                     मंगल तक पंिुचा िमारा यान,
                                                                     ये िमारे िैज्ाहनकों की ताकत..
                                                              इन गुमनामों क े  बलबूते झुका आज पूरा हिश्व....
                                                                       यिी आज की िकीकत...
                                                        हतरंगे मे हलपटे मेरा जिान भाई, मांगता िै अपने िक़ से सममान..
                                                      िमारा िै कर्रिवय न कभी िो उनक े  या उनक े  पररिार का असममान...
                                                                   कया कर ूँ  मै प्रशंसा इन गुमनामों  की...
                                                             यि निीं मोिोताज हकसी प्रहसहधि या शोिरत क े ...
                                                             ऐसेिी गुमनामों ने लाई िेश मैं सिातंत्य की आंधी िै...
                                                            नजाने कयों िेश को हिखे हसर रि  नेिर और गांधी िै...
                                                                  ऐसे अनेकों गुमनाम िै िमारे आस-पास...
                                                                    बस िेखने का नजररया बिलो..
                                                            िर लड़की मैं रानी लक्मीबाई जैसा जसबा हिखेगा...
                                                               और िर लड़क े  मै प्रभु श्ी राम जैसी मयारििा...
                                                                        गुमनाम इनका नाम िै....

                                                                       गुमनाम इनका नाम िै....
                                                                               मैं...

                                                                             गुमनाम...
                                                                            नामरहित...
                                                                            अज्ातक ृ त...


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